मेघो ने तरस खाया, पलट के मौसम आया। झीले रीती बाट जो रही, फिर उमंगो का पानी आया। सावन भी सुखा रह गया भादव आधा बीत गया । न जाने क्यूँ बादल लौट आया, पलट के मौसम फिर आया । – हेमलता पालीवाल “हेमा” हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
मेघो ने तरस खाया,
मेघो ने तरस खाया,
पलट के मौसम आया।
झीले रीती बाट जो रही,
फिर उमंगो का पानी आया।
सावन भी सुखा रह गया
भादव आधा बीत गया ।
न जाने क्यूँ बादल लौट आया,
पलट के मौसम फिर आया ।
– हेमलता पालीवाल “हेमा”
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें