नाम लेके तिरा, हम शुरू कर रहे तीरगी में यहाँ, रौशनी भर रहे खूबसूरत बनें, ये ज़मीं आसमां चाहतों से सदा, ये भरा घर रहे महफ़िल चारसू, बस अदब की सजे नाम हरदम तिरा, इन लबों पर रहे सिलसिला प्यार का, जोड़कर वो चलो दर्द से आँख ना, कोइ भी तर रहे काव्य ज्योति से हम, हर अंधेरा हरें रौशनी से भरा, आप का घर रहे ये कलम जो लिखे, बस तेरी हम्द हो ख़म तिरे सामने, ‘शाद’ का सर रहे – शाद उदयपुरी शाद उदयपुरी जी की हम्द शाद उदयपुरी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
नाम लेके तिरा
नाम लेके तिरा, हम शुरू कर रहे
तीरगी में यहाँ, रौशनी भर रहे
खूबसूरत बनें, ये ज़मीं आसमां
चाहतों से सदा, ये भरा घर रहे
महफ़िल चारसू, बस अदब की सजे
नाम हरदम तिरा, इन लबों पर रहे
सिलसिला प्यार का, जोड़कर वो चलो
दर्द से आँख ना, कोइ भी तर रहे
काव्य ज्योति से हम, हर अंधेरा हरें
रौशनी से भरा, आप का घर रहे
ये कलम जो लिखे, बस तेरी हम्द हो
ख़म तिरे सामने, ‘शाद’ का सर रहे
– शाद उदयपुरी
शाद उदयपुरी जी की हम्द
शाद उदयपुरी जी की रचनाएँ
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