लगा दी जिंदगी तुमने क्यों ऐसे आज़माने को कोई तुमको ना रोकेगा यूँ मंज़िल अपनी पाने को लुटा रखा है सब अपना जो तूने लक्ष्य पाने को आ गया वक़्त अब तेरा शिखर पे रंग जमाने को बहुत मेहनत किया हर क़दम, पर ये जानते हैं हम दिखाना है उड़ान अब हौसलों की ज़माने को बड़ी शिद्दत से तुमने तो रिश्तों को निभाया हैं ज़िद है आज कर्मो से ख़ुदा को भी यूँ पाने को तुम्हारे अश्क़ की हर बून्द का प्यासा समन्दर है कोई समझाये कैसे ‘शाद’ जैसे इस दीवाने को – शाद उदयपुरी शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल शाद उदयपुरी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
लगा दी जिंदगी तुमने
लगा दी जिंदगी तुमने क्यों ऐसे आज़माने को
कोई तुमको ना रोकेगा यूँ मंज़िल अपनी पाने को
लुटा रखा है सब अपना जो तूने लक्ष्य पाने को
आ गया वक़्त अब तेरा शिखर पे रंग जमाने को
बहुत मेहनत किया हर क़दम, पर ये जानते हैं हम
दिखाना है उड़ान अब हौसलों की ज़माने को
बड़ी शिद्दत से तुमने तो रिश्तों को निभाया हैं
ज़िद है आज कर्मो से ख़ुदा को भी यूँ पाने को
तुम्हारे अश्क़ की हर बून्द का प्यासा समन्दर है
कोई समझाये कैसे ‘शाद’ जैसे इस दीवाने को
– शाद उदयपुरी
शाद उदयपुरी जी की ग़ज़ल
शाद उदयपुरी जी की रचनाएँ
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