नशेमन का जिगर देखो । बिजलियों में गुज़र देखो । मुसीबत ही मुसीबत है, जहाँ देखो जिधर देखो । रफिक़ों को लड़ा डाला, रक़ीबों का हुनर देखो । हिदायत है बड़े घर की, नहीं चाहो मगर देखो । ग़रीबी ने झुका दी है, लड़कपन की कमर देखो । क़लम स्याही नहीं मिलती, अदीबों का नगर देखो । ठहरती है कहाँ जाकर, ज़माने की नज़र देखो । हमारी भी दुआ करना, दयारे हक़ अगर देखो । –इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
नशेमन का जिगर देखो
नशेमन का जिगर देखो ।
बिजलियों में गुज़र देखो ।
मुसीबत ही मुसीबत है,
जहाँ देखो जिधर देखो ।
रफिक़ों को लड़ा डाला,
रक़ीबों का हुनर देखो ।
हिदायत है बड़े घर की,
नहीं चाहो मगर देखो ।
ग़रीबी ने झुका दी है,
लड़कपन की कमर देखो ।
क़लम स्याही नहीं मिलती,
अदीबों का नगर देखो ।
ठहरती है कहाँ जाकर,
ज़माने की नज़र देखो ।
हमारी भी दुआ करना,
दयारे हक़ अगर देखो ।
–इक़बाल हुसैन इक़बाल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ
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