निभाओ कुछ बड़ा किरदार भाई समय यूँ मत करो बेकार भाई लुटे कितने यहाँ घर बार भाई पढ़ो कुछ तो ज़रा अख़बार भाई बने अपने यहाँ ख़ुद ही लुटेरे कि जीना हो गया दुश्व़ार भाई जला दो नफ़रतों का घर दिलों से बनो अपनो के तुम गलहार भाई शरारत कर रहा अपना पड़ौसी सभी रहना ज़रा तैयार भाई वतन से प्यार करते हैं यहाँ जो करो उनका सभी सत्कार भाई ग़ज़ल “जगदीश” कुछ ऐसी कहो तुम सभी के हों सपन सपन साकार भाई –जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
निभाओ कुछ बड़ा किरदार भाई
निभाओ कुछ बड़ा किरदार भाई
समय यूँ मत करो बेकार भाई
लुटे कितने यहाँ घर बार भाई
पढ़ो कुछ तो ज़रा अख़बार भाई
बने अपने यहाँ ख़ुद ही लुटेरे
कि जीना हो गया दुश्व़ार भाई
जला दो नफ़रतों का घर दिलों से
बनो अपनो के तुम गलहार भाई
शरारत कर रहा अपना पड़ौसी
सभी रहना ज़रा तैयार भाई
वतन से प्यार करते हैं यहाँ जो
करो उनका सभी सत्कार भाई
ग़ज़ल “जगदीश” कुछ ऐसी कहो तुम
सभी के हों सपन सपन साकार भाई
–जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
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