दिलों से खेलने वाले प्यार का मोल न लगाना हम जो चले गए एक बार तो वापस नहीं आएँगे प्यार का कुछ तो सिला दो एक क़दम तुम भी बढ़ा दो आ के भर लो बाहों में और दिल में बसा लो सासें भी कम हैं और वक़्त भी ज़िंदगी बार-बार मौक़ा नहीं देती –एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
दिलों से खेलने वाले
दिलों से खेलने वाले
प्यार का मोल न लगाना
हम जो चले गए एक बार
तो वापस नहीं आएँगे
प्यार का कुछ तो सिला दो
एक क़दम तुम भी बढ़ा दो
आ के भर लो बाहों में
और दिल में बसा लो
सासें भी कम हैं और वक़्त भी
ज़िंदगी बार-बार मौक़ा नहीं देती
–एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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