गुरूदेव का
अभिनन्दन और स्वागत-सत्कार
पहनाकर जूतों का हार
नंगे पाँव परेड कराना
छात्रों की एक आम सभा बुलाना
स्वागत कर्ताओं के प्रति
धन्यवाद प्रस्ताव लाना
वे लोग है कतई नासमझ
जो कहें इसे दुर्व्यवहार
अरे भाई फूलों का हार
मौके पर न हुआ तैयार
तो जूतों की ही सही माला
किसी तरह काम तो निकाला
धन्य है शिक्षार्थी
आधुनिक विधार्थी
जो रखते है
प्रगतिवाद में विश्वास
छोटे-छोटे फूलों की जगह
बड़े-बड़े जूते
एक दो नहीं
पूरे पचास
इसी सिद्धान्त का कर पालन
ताक पर धर अनुशासन
करते रहो गुरु का ऐसा हाल
लेकिन एक दिन
जब तुम भी गुरु बनोगे तो
तुम्हारे भी चेले
पहनायेंगे जूते
चलायेंगे ढेले
गुरूदेव का अभिनन्दन और स्वागत-सत्कार
गुरूदेव का
अभिनन्दन और स्वागत-सत्कार
पहनाकर जूतों का हार
नंगे पाँव परेड कराना
छात्रों की एक आम सभा बुलाना
स्वागत कर्ताओं के प्रति
धन्यवाद प्रस्ताव लाना
वे लोग है कतई नासमझ
जो कहें इसे दुर्व्यवहार
अरे भाई फूलों का हार
मौके पर न हुआ तैयार
तो जूतों की ही सही माला
किसी तरह काम तो निकाला
धन्य है शिक्षार्थी
आधुनिक विधार्थी
जो रखते है
प्रगतिवाद में विश्वास
छोटे-छोटे फूलों की जगह
बड़े-बड़े जूते
एक दो नहीं
पूरे पचास
इसी सिद्धान्त का कर पालन
ताक पर धर अनुशासन
करते रहो गुरु का ऐसा हाल
लेकिन एक दिन
जब तुम भी गुरु बनोगे तो
तुम्हारे भी चेले
पहनायेंगे जूते
चलायेंगे ढेले
–गोविन्द व्यथित
गोविन्द व्यथित जी की रचनाएँ
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें