अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये फ़लसफ़ा समझकर आना हमारे पास । ये रौनके ज़माना ये उम्र की ख़ुमारी, सब बेवफ़ा समझकर आना हमारे पास । सौदा ए इश्क़ यूँ भी बिल्कुल अजीब शय है, घाटा सफा समझकर आना हमारे पास । देखीं हैं सिर्फ तुमने हमारी मुरव वतें, अब हैं ख़फ़ा समझकर आना हमारे पास । –इक़बाल हुसैन इक़बाल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास
अहदे वफ़ा समझकर आना हमारे पास ।
ये फ़लसफ़ा समझकर आना हमारे पास ।
ये रौनके ज़माना ये उम्र की ख़ुमारी,
सब बेवफ़ा समझकर आना हमारे पास ।
सौदा ए इश्क़ यूँ भी बिल्कुल अजीब शय है,
घाटा सफा समझकर आना हमारे पास ।
देखीं हैं सिर्फ तुमने हमारी मुरव वतें,
अब हैं ख़फ़ा समझकर आना हमारे पास ।
–इक़बाल हुसैन इक़बाल
इक़बाल हुसैन “इक़बाल” जी की ग़ज़ल
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