अखण्ड काव्य ज्योति जल उठी,
नए संकल्प, नव सामाजिक कर्म,
अँधेरी दुनिया को जगमगाने को,
अज्ञानता, द्ररिदता, कुपोषण को,
जड़ से मिटाने, दूर करने समाज से।
एक नया ज्ञान का आलोक फैलाने,
दृढ़ संकल्प है, मजबूत-नेक इरादे
रोशन करने उस जहाँ को,
जहाँ तम का घोर बसेरा है।
आओ हम सब भी उस ज्योत को,
दूर-दूर तक ले जाए, इस पूनीत
कार्य को जन-जन तक बढाएँ।
अखण्ड काव्य ज्योति जल उठी
अखण्ड काव्य ज्योति जल उठी,
नए संकल्प, नव सामाजिक कर्म,
अँधेरी दुनिया को जगमगाने को,
अज्ञानता, द्ररिदता, कुपोषण को,
जड़ से मिटाने, दूर करने समाज से।
एक नया ज्ञान का आलोक फैलाने,
दृढ़ संकल्प है, मजबूत-नेक इरादे
रोशन करने उस जहाँ को,
जहाँ तम का घोर बसेरा है।
आओ हम सब भी उस ज्योत को,
दूर-दूर तक ले जाए, इस पूनीत
कार्य को जन-जन तक बढाएँ।
–हेमलता पालीवाल ‘हेमा’
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की कविता
हेमलता पालीवाल "हेमा" जी की रचनाएँ
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