किसी ने पूछ लिया दिल और ख़ून के रिश्तों में फ़र्क़ क्या है सुना है दिल के रिश्तों में बहुत सहूलियत है पल में जुड़ते और टूटते हैं जोड़ तो लिया दिल आपने हमसे मेरे दोस्त तोड़ने की वजह न ढूँढ लेना कभी जोड़ने तोड़ने के इस खेल में तोड़ते हैं दिल अक्सर अपने ही अकेला छोड़ गए कुछ दोस्त हमें पहले भी –एकता खान एकता खान जी की कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
किसी ने पूछ लिया
किसी ने पूछ लिया
दिल और ख़ून के
रिश्तों में फ़र्क़ क्या है
सुना है दिल के रिश्तों में
बहुत सहूलियत है
पल में जुड़ते और टूटते हैं
जोड़ तो लिया दिल आपने
हमसे मेरे दोस्त
तोड़ने की वजह न ढूँढ लेना कभी
जोड़ने तोड़ने के इस खेल में
तोड़ते हैं दिल अक्सर अपने ही
अकेला छोड़ गए कुछ दोस्त हमें पहले भी
–एकता खान
एकता खान जी की कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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