सर्कस का सातवाँ बौना
दिखाता था अच्छे-अच्छे खेल
यों तो सर्कस में
कुछ मिलाकर थे आठ बौने
लेकिन उसके आगे सब फेल
तीसरे बौने ने
किया काफी परिश्रम
उसकी कला में यधपि
हुआ बहुत विकास
किन्तु सातवें से थोड़ा कम
छठाँ भी काफी तेजी से
प्रगति की ओर बढ़ा
जा रहा सफलता की
ऊँची सीढ़ियों पर चढ़ा
सातवें से
अन्य बौनों की प्रगति
न हुई बर्दाश्त
और एक दिन…….
शो के बीच में ही वह
स्टेज से नीचे उछला
उतर कर तेजी से भगा चला
देखते – देखते
दर्शकों की भीड़ में
गुम हो गया
और आज तक उसका
कुछ पता न चला |
सर्कस का सातवाँ बौना
सर्कस का सातवाँ बौना
दिखाता था अच्छे-अच्छे खेल
यों तो सर्कस में
कुछ मिलाकर थे आठ बौने
लेकिन उसके आगे सब फेल
तीसरे बौने ने
किया काफी परिश्रम
उसकी कला में यधपि
हुआ बहुत विकास
किन्तु सातवें से थोड़ा कम
छठाँ भी काफी तेजी से
प्रगति की ओर बढ़ा
जा रहा सफलता की
ऊँची सीढ़ियों पर चढ़ा
सातवें से
अन्य बौनों की प्रगति
न हुई बर्दाश्त
और एक दिन…….
शो के बीच में ही वह
स्टेज से नीचे उछला
उतर कर तेजी से भगा चला
देखते – देखते
दर्शकों की भीड़ में
गुम हो गया
और आज तक उसका
कुछ पता न चला |
–गोविन्द व्यथित
गोविन्द व्यथित जी की रचनाएँ
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