बदलेगी ज़माने की लाज़िम ये फ़िज़ा देखो तुम फूल मुहब्बत के कुछ दिल में खिला देखो इस जज़्बे – मुहब्बत का अफ़साना बना देखो तस्वीर मेरी अपने घर में तो सजा देखो नस-नस में मुहब्बत की भर दूगाँ हरारत को इक बार ज़रा मुझसे आँखें तो मिला देखो इस दहर में हर सू ही बहरों की हुक़ूमत है इस राज़ से वाबस्ता परदों को उठा देखो सुनता ही नहीं कोई ग़ुर्बत की कहानी भी कुहराम कभी तुम भी बच्चों सा मचा देखो फिर प्यास बुझाने को चला आयेगा ख़ुद साक़ी जो आग सुलगती है वो आग दिखा देखो फूलों सी महक उट्ठेगी दुनिया ये तेरे दिल की तुम मेरे इरादों की तासीरे – वफ़ा देखो अब जाके मसीहा को साग़र ही बुला लाओ बीमारे-मुहब्बत को मिल जाये शिफ़ा देखो – विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की प्यार इश्क़ मोहब्बत पर ग़ज़ल विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
बदलेगी ज़माने की लाज़िम
बदलेगी ज़माने की लाज़िम ये फ़िज़ा देखो
तुम फूल मुहब्बत के कुछ दिल में खिला देखो
इस जज़्बे – मुहब्बत का अफ़साना बना देखो
तस्वीर मेरी अपने घर में तो सजा देखो
नस-नस में मुहब्बत की भर दूगाँ हरारत को
इक बार ज़रा मुझसे आँखें तो मिला देखो
इस दहर में हर सू ही बहरों की हुक़ूमत है
इस राज़ से वाबस्ता परदों को उठा देखो
सुनता ही नहीं कोई ग़ुर्बत की कहानी भी
कुहराम कभी तुम भी बच्चों सा मचा देखो
फिर प्यास बुझाने को चला आयेगा ख़ुद साक़ी
जो आग सुलगती है वो आग दिखा देखो
फूलों सी महक उट्ठेगी दुनिया ये तेरे दिल की
तुम मेरे इरादों की तासीरे – वफ़ा देखो
अब जाके मसीहा को साग़र ही बुला लाओ
बीमारे-मुहब्बत को मिल जाये शिफ़ा देखो
– विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल जी की प्यार इश्क़ मोहब्बत पर ग़ज़ल
विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ
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