तन मन धन पर उसका ही राज चले,
हर एक मसले में ही दखल देती है।
नून तेल लकड़ी में रखे उलझाए नित,
पतियों को ठोंक पीट भी बदल देती है।
दिल में जो खिले प्रेम पुष्प कभी गलती से,
ताने मार झटके से वो मसल देती है।
कार्य हो जटिल चाहे कितना रजत किन्तु,
परिणाम नारी सदा ही सफल देती है।
तन मन धन पर उसका ही राज चले
तन मन धन पर उसका ही राज चले,
हर एक मसले में ही दखल देती है।
नून तेल लकड़ी में रखे उलझाए नित,
पतियों को ठोंक पीट भी बदल देती है।
दिल में जो खिले प्रेम पुष्प कभी गलती से,
ताने मार झटके से वो मसल देती है।
कार्य हो जटिल चाहे कितना रजत किन्तु,
परिणाम नारी सदा ही सफल देती है।
– अवधेश कुमार ‘रजत’
अवधेश कुमार 'रजत' जी की नारी शक्ति पर कविता
अवधेश कुमार 'रजत' जी की रचनाएँ
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