ज़िन्दगी अपनी ख़्वार कर बैठे बेवफ़ा से जो प्यार कर बैठे दिल्लगी -दिल्लगी में ही देखो वो हमारा शिकार कर बैठे होश आया भी तो कहाँ आया जबकि सब कुछ निसार कर बैठे रोने धोने से भी है क्या हासिल जब हदें सारी पार कर बैठे अपनी ख़ुशियाँ भी वार दीं उस पर जाने कैसा क़रार कर बैठे दिल के गमलों में यादें बो बो कर हम ख़िज़ाँ में बहार कर बैठे इश्क की बेख़ुदी में हम साग़र जाने क्या -क्या शुमार कर बैठे – विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की बेवफाई पर कविता विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
ज़िन्दगी अपनी ख़्वार कर बैठे
ज़िन्दगी अपनी ख़्वार कर बैठे
बेवफ़ा से जो प्यार कर बैठे
दिल्लगी -दिल्लगी में ही देखो
वो हमारा शिकार कर बैठे
होश आया भी तो कहाँ आया
जबकि सब कुछ निसार कर बैठे
रोने धोने से भी है क्या हासिल
जब हदें सारी पार कर बैठे
अपनी ख़ुशियाँ भी वार दीं उस पर
जाने कैसा क़रार कर बैठे
दिल के गमलों में यादें बो बो कर
हम ख़िज़ाँ में बहार कर बैठे
इश्क की बेख़ुदी में हम साग़र
जाने क्या -क्या शुमार कर बैठे
– विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल जी की बेवफाई पर कविता
विनय साग़र जायसवाल जी की रचनाएँ
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