यूँ तो आप हमें, अपना सा कहते हैं कहीं सिर्फ़ लफ़्ज़ों से ही तो हम अपने नहीं दिल जो आपका, अपना हमें समझने लगे कभी हक़ भी जता लेना, हम कोई ग़ैर नहीं – एकता एकता खान जी की दिल के दर्द पर कविता एकता खान जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
यूँ तो आप हमें
यूँ तो आप हमें,
अपना सा कहते हैं
कहीं सिर्फ़ लफ़्ज़ों से ही
तो हम अपने नहीं
दिल जो आपका,
अपना हमें समझने लगे
कभी हक़ भी जता लेना,
हम कोई ग़ैर नहीं
– एकता
एकता खान जी की दिल के दर्द पर कविता
एकता खान जी की रचनाएँ
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