बड़ी हैरत में हूँ खाली कैनवास पर तो मन रेखाएँ खींच लेता है कूँचियाँ क्यों सहम जाती है उतर नही पाते कैनवास पर क्योंकि तुम रंग नहीं रूह ही हो तुम तो मन के भीतर ही अमिट छबि में महफूज हो बने रहो सदा-सदा – रामनारायण सोनी नोट: यह छ्न्द रामनारायण सोनी जी द्वारा ईजाद की गयी है और इसे उन्होंने कलश छ्न्द नाम दिया है क्योंकि यह कलश के चित्र की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
रूह हो तुम!
बड़ी हैरत में हूँ
खाली कैनवास पर तो
मन रेखाएँ खींच लेता है
कूँचियाँ क्यों सहम जाती है
उतर नही पाते कैनवास पर
क्योंकि तुम रंग नहीं
रूह ही हो तुम तो
मन के भीतर ही
अमिट छबि में
महफूज हो
बने रहो सदा-सदा
– रामनारायण सोनी
नोट: यह छ्न्द रामनारायण सोनी जी द्वारा ईजाद की गयी है और इसे उन्होंने कलश छ्न्द नाम दिया है क्योंकि यह कलश के चित्र की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है।
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