आज फिर में गुनगुनाना चाहता हूँ हर क़दम पे मुस्कराना चाहता हूँ ऐ अंधेरे तू यहाँ से भाग जा अब रौशनी को घर बुलाना चहता हूँ पर लगा दे ऐ ख़ुदा तू आज मेरे आसमां पे फड़फड़ाना चाहता हूँ आज जो आतंक फैला देश में है मैं उसे जड़ से मिटाना चाहता हूँ भेद देते देश का जो दुश्मनों को आईना उनको दिखाना चाहता हूँ कुछ ग़ज़ल के शेर कहकर प्यारे प्यारे आदमी सबको बनाना चाहता हूँ रूठ कर “जगदीश” मत जाओ यहाँ से मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल जगदीश तिवारी जी की रचनाएँ [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
आज फिर में गुनगुनाना चाहता हूँ
आज फिर में गुनगुनाना चाहता हूँ
हर क़दम पे मुस्कराना चाहता हूँ
ऐ अंधेरे तू यहाँ से भाग जा अब
रौशनी को घर बुलाना चहता हूँ
पर लगा दे ऐ ख़ुदा तू आज मेरे
आसमां पे फड़फड़ाना चाहता हूँ
आज जो आतंक फैला देश में है
मैं उसे जड़ से मिटाना चाहता हूँ
भेद देते देश का जो दुश्मनों को
आईना उनको दिखाना चाहता हूँ
कुछ ग़ज़ल के शेर कहकर प्यारे प्यारे
आदमी सबको बनाना चाहता हूँ
रूठ कर “जगदीश” मत जाओ यहाँ से
मैं तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
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