यार वो भी कमाल करता है अपने दुश्मन को साथ रखता है हाथ में एक गुलाब रखता है और हँस हँस के बात करता है जिनसे उसे यहां मिला धोखा उन पे ही एतबार करता है अपनी ग़लती पे ख़ुद ही अपने से आप ही आप ख़ुद से लड़ता है रौशनी बांटता है दुनियां को तीरगी अपने पास रखता है उसको यूँ ही न समझो यारों तुम अपनी तक़दीर ख़ुद ही लिखता है ज़िन्दगी एक आइना जिसकी ऐसा ऊँचा ख़याल रखता है – जगदीश तिवारी जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
यार वो भी कमाल करता है
यार वो भी कमाल करता है
अपने दुश्मन को साथ रखता है
हाथ में एक गुलाब रखता है
और हँस हँस के बात करता है
जिनसे उसे यहां मिला धोखा
उन पे ही एतबार करता है
अपनी ग़लती पे ख़ुद ही अपने से
आप ही आप ख़ुद से लड़ता है
रौशनी बांटता है दुनियां को
तीरगी अपने पास रखता है
उसको यूँ ही न समझो यारों तुम
अपनी तक़दीर ख़ुद ही लिखता है
ज़िन्दगी एक आइना जिसकी
ऐसा ऊँचा ख़याल रखता है
– जगदीश तिवारी
जगदीश तिवारी जी की ग़ज़ल
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