भले तन धूल धुसरित हो वो मन मैला नही होता। वतन के वीर पूतों का कफन मैला नही होता। यहां तो बाग़बान ही पर कतरते ही नज़र आते। सजग माली के रहने पर चमन मैला नही होता। प्यार के राह के हर मोड़ पे खज़र खनकता है। जिग़र पाके़ मोहब्बत हो मिलन मैला नही होता। खु़द बारूद पर बैठा मुझे आँखें दिखाता है। मिसिर ‘विनोद’ छींटों से गगन मैला नही होतो। – डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’ वीर सैनिक पर कविता हिंदी में [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
वतन के वीर पूतों का कफन मैला नही होता
भले तन धूल धुसरित हो
वो मन मैला नही होता।
वतन के वीर पूतों का
कफन मैला नही होता।
यहां तो बाग़बान ही पर
कतरते ही नज़र आते।
सजग माली के रहने पर
चमन मैला नही होता।
प्यार के राह के हर मोड़ पे
खज़र खनकता है।
जिग़र पाके़ मोहब्बत हो
मिलन मैला नही होता।
खु़द बारूद पर बैठा
मुझे आँखें दिखाता है।
मिसिर ‘विनोद’ छींटों से
गगन मैला नही होतो।
– डॉ. विनोद कुमार मिश्र ‘कैमूरी’
वीर सैनिक पर कविता हिंदी में
[simple-author-box]
अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें