रश्क करती है हर ख़ूशी अपनी उनसे रौशन है ज़िन्दगी अपनी ज़ुल्म सारे ही ढा चुकी दुनिया फिर भी हँसती है दोस्ती अपनी जो भी माँगा वो दे दिया उसको हमने रोयी न बेबसी अपनी यूँ भी वाबस्ता हैं ये उम्मीदें सबने देखी है दिलबरी अपनी यूँ खटकने लगे हैं हम सबको उनको भाती है शायरी अपनी उनके चेहरे पे आ गई रौनक़ रंग लाई है दिल्लगी अपनी उनके आते ही बज़्म में साग़र मिल गई शाम को ख़ुशी अपनी – विनय साग़र जायसवाल विनय साग़र जायसवाल जी की ग़ज़ल [simple-author-box] अगर आपको यह रचना पसंद आयी हो तो इसे शेयर करें
उनसे रौशन है ज़िन्दगी अपनी
रश्क करती है हर ख़ूशी अपनी
उनसे रौशन है ज़िन्दगी अपनी
ज़ुल्म सारे ही ढा चुकी दुनिया
फिर भी हँसती है दोस्ती अपनी
जो भी माँगा वो दे दिया उसको
हमने रोयी न बेबसी अपनी
यूँ भी वाबस्ता हैं ये उम्मीदें
सबने देखी है दिलबरी अपनी
यूँ खटकने लगे हैं हम सबको
उनको भाती है शायरी अपनी
उनके चेहरे पे आ गई रौनक़
रंग लाई है दिल्लगी अपनी
उनके आते ही बज़्म में साग़र
मिल गई शाम को ख़ुशी अपनी
– विनय साग़र जायसवाल
विनय साग़र जायसवाल जी की ग़ज़ल
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